आमवात
का निदान
विरुद्ध आहार विहार करने वाले मन्दाग्नि और
निस्चेस्ता व्यक्ति अगर स्निग्ध आहार करने के पश्चात व्यायाम करता है तो उनको आहार
पाचन न होने के कारण आमरस बनता है और व्यायाम से प्रकुपति वायु के द्वारा यह कफ के
स्थानों की और जाता है जैसे – आमाशय ,संधि,उर ,शिर और कंठ | अत्यधिक विदग्ध होने
पर धमनियों में चला जाता है,यहाँ पर धमनियों में तीनों दोषों से मिलकर और अधिक
दुष्ट होकर कई वर्ण का होकर पिच्छिल हो जाता है और श्रोतों में अवरोध पैदा करता है
| इससे शरीर में शीघ्र ही दुर्बलता और हृदय में भारीपन आजाता है | कई व्याधियों का
कारण होने के कारण इस आम को अत्यंत भयंकर मन जाता है | इस प्रकार यह एक साथ वात और
आम , त्रिक प्रदेश और संधियाँ में चले जाते हैं और उन्हें और समस्त शरीर को
स्तंभित (जकडआहत )कर देतें हैं |
आमवात
लक्षण
संपूर्ण शरीर में दर्द होना, भोजन में
अरुचि , अत्यधिक प्यास लगना, आलस्य , भारीपन , ज्वर, भोजन का जीर्ण न होना, अंगों
में शोथ
आमवात
के बढ़ने पर लक्षण
vaxenksZ·:fpLrp`".kk ákyL;a xkSjoa Toj%A
vikd% ’kwurk·axkukekeokrL; y{k.ke~A6AA
l d"V% loZjksxk.kka ;nk çdqfirks Hkosr~A
gLriknf’kjksxqYQf=dtkuw:lfU/k"kqAA7AA
djksfr l:ta 'kksFka ;= nks"k% çi|rsA
l ns’kks :T;rs·R;FkZa O;kfo) bo o`fÜpdS%AA8AA
tu;sRlks·fXunkScZY;a çlsdk:fpxkSjoe~A
mRlkggkfua oSjL;a nkga p cgqew=rke~AA9AA
dq{kkS dfBurka 'kwya rFkk fuækfoi;Z;e~A
r`V~NÆnHkzeewPNkZÜp ân~xzga foM~foc)rke~A
tkM;kU=dwtekukga d"VkÜpU;kuqiæoku~AA10AA
१. हाँथ ,पैर , शिर , गुल्फ (टखना), त्रिक ,
घुटनों , उरु में जहाँ भी आम्युकता वात जाता है वहा दर्द के साथ शोथ हो जाता है |
जिससे वह इतना दर्द होता है जेसे की बिच्छू ने कटा हो |
२. अग्निदौर्बल्य,मुह में पानी आना,अरुचि ,गौरव
,उत्साह न होना , स्वादु भोजन खाने पर भी स्वाद न लगना , दाह होना,अत्यधिक मूत्र
का आना ,पेट में कठिनता ,शूल , दिन में अधिक नीद का आना और रत को नीद का न आना
३. अत्यधिक प्यास का लगना ,उल्टियाँ
होना,भ्रम,मूर्छा ,हृदयप्रदेश में स्तब्धता
का प्रतीत होना, विवंध होना (कब्ज),आँतों में गुड़गुडाहट होना|
आमवात
और दोषानुबंध
पित्त का अनुबंध होने पर – जलन के साथ
लालिमा
वात का अनुबंध होने पर – शूल
कफ का अनुबंध होने पर – भारीपन ,
खुजली , और भीगा हुआ सा लगना |
साध्यासाध्यता
एक दोष वाला आमवात साध्य, दो दोष वाला
याप्य,तीन दोषों वाला आमवात और समस्त शरीर में सोत वाला आमवात असाध्य होता है|
No comments:
Post a Comment