Wednesday 8 April 2020

वर्षा ऋतु (मध्य जुलाई से मध्य सितंबर) में ध्यान देने योग्य बातें |


सामान्य अवस्था
वर्षा ऋतू में वात दोष कुपित होता है अतः बुजुर्गों एवं वातजन्य रोगों से पीड़ित रोगियों को विशेष रूम से वात को बढाने वाले खानपान और रहन – सहन से दूर रहना चाहिए |
सामन्य शिकायतें -  पाचन शक्ति का कम होना, शारीरिक कमजोरी , वायु दोष , जोड़ों का दर्द
प्रयोग करें
ü खट्टा,नमकीन, स्निग्ध और स्नेह गुणों वाले खाद्य पदार्थों को शहद मिलाकर लिया जाना चाहिए।
ü खाना पचने में हल्का हो वही लेना चाहिए |
ü पुरानी जौ, चावल, गेहूं, आदि की सलाह दी जाती है।
ü मांस सूप के अलावा, मूंग दाल के सूप, आदि आहार में शामिल किया जाना है।
ü दही के पानी को पंचकोल एवं सौवर्चल नमक मिलकर दें |
ü गहरे कुएं के पानी, ट्यूबवेल के पानी ,बारिश के पानी, उबाला पानी प्रयोग करें ।
ü वर्षा ऋतू में सूती एवं हलके वस्त्र सुगन्धित द्रव्यों से सुवाषित करके पहनें |
प्रयोग न करें
v नदी के पानी का सेवन  नहीं करना चाहिए |
v नंगे पैर बाहर नहीं जाना चाहिए |
v अत्यधिक धूप, ठंडी हवा का सेवन  नहीं करना चाहिए |
v खाद्य पदार्थ, पचाने के लिए भारी और कठिन हैं, प्रतिबंधित हैं।
v दिन में सोना
v अधिक व्यायाम, कठोर परिश्रम

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