Wednesday, 8 April 2020

हेमन्त ऋतु (मध्य नवंबर से मध्य जनवरी के बीच का समय) में ध्यान देने योग्य बातें |


सामान्य अवस्था :-
v इस ऋतु में शरीर में भरपूर शक्ति होती है ।
v इन दिनों शरीर में पित्त का शमन होता है।
v इस ऋतु में स्वाभाविक रूप से पाचनशक्ति प्रबल रहती है।इस समय लिया गया पौष्टिक और बलवर्धक आहार वर्ष भर शरीर को तेज, बल और पुष्टि प्रदान करता है।
क्या प्रयोग करें :-
v इस ऋतु में मीठा,खट्टा,नमकीन स्वाद वाले आहार प्रमुखता से लेना चाहिए।
v पचने में भारी, पौष्टिकता से भरपूर, गरम व स्निग्ध प्रकृति के, घी से बने पदार्थों का यथायोग्य सेवन करना चाहिए।
v मौसमी फल व शाक, नए अनाज जैसे –चावल आदि ,गन्ने से बने पदार्थ-जैसे गुड़ आदि ,दूध, रबड़ी, घी, मक्खन, मट्ठा, शहद, उड़द,खजूर, तिल, नारियल, मेथी, पीपर, सूखा मेवा तथा अन्य पौष्टिक पदार्थ इस ऋतु में सेवन योग्य माने जाते हैं। रात को भिगोये हुए  चने (खूब चबा-चबाकर खायें), मूँगफली, गुड़, गाजर, केला,शकरकंद, सिंघाड़ा, आँवला आदि  खाये जाने वाले पौष्टिक पदार्थ का सेवन करें |
v प्रतिदिन प्रातःकाल दौड़ लगाना, शरीर की तेलमालिश, व्यायाम, कसरत व योगासन करने चाहिए। यदि कुश्ती अथवा अन्य कसरतें आती हों तो उन्हें करना लाभदायक है|
v जिनकी तासीर ठंडी हो, वे इस ऋतु में गुनगुने गर्म जल से स्नान करें। अधिक गर्म जल का प्रयोग न करें। हाथ-पैर धोने में भी यदि गुनगुने पानी किया जाय तो हितकर होगा।
v शरीर पर तेल की मालिश करवाना लाभदायक है।
v तेलमालिश के बाद शरीर पर उबटन लगाकर स्नान करना हितकारी है।
v कमरे एवं शरीर को थोड़ा गर्म रखें। सूती, मोटे तथा ऊनी वस्त्र इस मौसम में लाभकारी होते हैं।
v प्रातःकाल सूर्य की किरणों का सेवन करें
क्या प्रयोग न करें :-
v इस ऋतु में बर्फ अथवा बर्फ का या फ्रिज का पानी, रूखे-सूखे, कसैले, तीखे तथा कड़वे रसप्रधान द्रव्यों, वातकारक और बासी पदार्थों का सेवन न करें। शीत प्रकृति के पदार्थों का अति सेवन न करें। हलका व कम भोजन की भी मनाही है।
v भूख को मारना या समय पर भोजन न करना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है।
v इस ऋतु में पाचन-शक्ति के प्रबल होने पर उसके बल के अनुसार पौष्टिक और भारी आहार नहीं मिलने पर यह बढ़ी हुई अग्नि शरीर की धातुओं को जलाने लगती है जिससे वात बढ़  जाता है।
v  इस ऋतु में उपवास भी अधिक नहीं करना चाहिए।
v शरीर को ठंडी हवा के सम्पर्क में अधिक देर तक न आने दें।
v पैर ठंडे न हों, इस हेत जुराबें अथवा जूतें पहनें। बिस्तर, कुर्सी अथवा बैठने के स्थान पर कम्बल, चटाई, प्लास्टिक अथवा टाट की बोरी बिछाकर ही बैठें।
v इन दिनों स्कूटर जैसे दुपहिया खुले वाहनों द्वारा लम्बा सफर न करते हुए बस, रेल, कार जैसे बंद वाहनों से ही सफर करने का प्रयास करें।

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